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छत्तीसगढ़ का मरवाही,कोटा,पेंड्रा के जंगल के क्षेत्र वर्तमान में मानव-हाथी संघर्ष की चपेट में है, क्योंकि उड़ीसा या झारखंड के सिकुड़ते जंगलों से संभवतः विस्थापित होने के बाद कई जंगली हाथियों का एक झुंड इस क्षेत्र में चला आया है। फसलों पर छापेमारी और मानव बस्तियों को नष्ट करने की नियमित घटनाएं संघर्ष के बढ़ने का कारण हैं। जब छत्तीसगढ़ वन विभाग ने तेजी से बढ़ते मानव हाथी संघर्ष को कम करने के लिए पहल की, तो जोहार पहुना फाउंडेशन के वन्यजीव संरक्षण परियोजना के तहत जंगली हाथियों के झुंड पर ग्राम संगठन एवं मोबाइल कम्युनिटी के माध्यम से योजना बनाई, ताकि प्रभावी ढंग से गांवों को समय पर अलर्ट जारी किया जा सके। हाथियों की गतिविधियों पर नज़र रखना। हाथी जागरूकता कार्यक्रम जागरूकता बढ़ाने और मानव-हाथी संघर्ष स्थितियों को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए हितधारकों के रूप में स्थानीय समुदायों को शामिल करने में सफल रहा है। हमारी टीम के सदस्य समुदाय और वालंटियर्स की मदद से हाथी विचरण और आवागमन के स्थान को ट्रैक करते है ताकि हम निगरानी कर सकें कि वह मानव बस्ती क्षेत्रों में आ रही है या नहीं।समय पर जानकारी और सक्रियता से हाथियों के संभावित मार्ग का आकलन करने में मदद मिलती है, जिससे गांव में अलर्ट बढ़ाने के लिए स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधियों तक पहुंचने में मदद मिलती है। इससे उन क्षेत्रों में संघर्ष कम हो गया है जहां मानव-हाथी मुठभेड़ की संभावना रहती है। जागरूकता कार्यशालाओं में जंगली हाथियों के जीव विज्ञान, व्यवहार और पारिस्थितिकी और संघर्ष से बचने के लिए अपनाए जा सकने वाले सुरक्षा उपायों पर बैठकें एवं कार्यशालाएं आयोजित की गईं। ये सत्र ग्रामीणों को ऐसे संघर्ष के कारणों, हाथियों के व्यवहार, आवश्यक संघर्ष शमन रणनीतियों और प्रारंभिक चेतावनी के महत्व के बारे में भी शिक्षित करते हैं। वास्तव में, इन सत्रों के माध्यम से, स्वयंसेवक हाथियों के आसपास होने पर गांवों को सतर्क करने में सक्रिय रूप से मदद करते हैं, जिससे संकट के समय संचार अधिक कुशल और विश्वसनीय हो जाता है। और बड़े संघर्ष और नुकशान को रोका जाता रहा है l इन सभी गतिविधियों के बाद भी हमें इन परियोजना क्षेत्रो में पार्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ने की जरुरत है – जैसे जंगल में फलदार पौधारोपण करना,वृक्षों की कटाई पर पूर्णतः प्रतिबन्ध, जंगलों में जल संग्रहण के स्थान को सुरक्षित करना, और समुदाय को वन्यजीवों के लिए प्रोत्साहित करना आदि l ग्रामीणों ,वन समिति के सदस्यों एवं वन विभाग के सदस्यों के साथ जनप्रतिनिधियों को संगठित और जागरूक करते हुए कुछ वालंटियर्स साथियों के सहयोग से परियोजना का सञ्चालन हो रहा है जिसमें वन्यजीवों के संरक्षण के लिए हमारी टीम प्रयासरत है –
अब तक हमने हाथी परियोजना में निम्न कार्य किये है l
हाथियों के आवागमन पर सतत निगरानी एवं 10 गाँवो की मैपिंग –
गाँवों में वन्यजीव संरक्षण हेतु ग्रामीण समूह निर्माण और जागरूकता – 12 प्रशिक्षण 7 बैठक
वन्यजीवों द्वारा ग्रामीण क्षतिपूर्ति का आकलन एवं विभागीय मदद हेतु प्रयास –
हाथी परियोजना क्षेत्र घोषित कराने सरकार को प्रस्ताव भेजना –
जंगल में जल संरक्षण (वाटरशेड निर्माण), पानी को रोकना, झरनों को जीवित करने, पौधारोपण एवं वन संरक्षण की दिशा में माइक्रोप्लानिंग
जीपीएम (गौरेला पेंड्रा मरवाही ) एवं बिलासपुर जिले के हाथी एवं वन्यजीवों प्रभावित 22 गाँवों में जागरूकता कार्यक्रम के तहत 80 से अधिक दीवार लेखन , 15 से अधिक प्रशिक्षण एवं बैठकें आयोजित की गयी l